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एक दिन एक गुरूजी अपने विद्यालय से घर लौट रहे थे। तभी ना जाने उन्हें क्या सूझा...

Post Update Date : 16 Apr 2022 12:00 AM
Post Date : 16 Apr 2022 12:00 AM
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एक दिन एक गुरूजी अपने विद्यालय से घर लौट रहे थे। रास्ते में एक नदी पड़ती थी।

गुरुजी ज्योंही नदी पार करने के मूड में आए तो ना जाने उन्हें क्या सूझा कि वहीं किनारे एक पत्थर पर बैठकर अपने झोले में से पेन और कागज निकालकर अपने वेतन का हिसाब किताब करने लगे।

फिर अचानक….उनके हाथ से उनका पेन ? फिसला और डुबुक ….पानी में डूब गया।

बेचारे गुरूजी परेशान। आज ही सुबह पूरे 10 रूपये में नया खरीदा था।

कातर दृष्टि से कभी इधर, कभी उधर देखते, पानी में उतरने का प्रयास करते, फिर डर कर कदम खींच लेते।

एकदम नया पेन था, छोड़कर जाना भी मुनासिब न था ।

अचानक…….पानी में एक तेज लहर उठी और साक्षात् जल देवता उनके सामने थे।

गुरूजी हक्के -बक्के रह गये औऱ उन्हें तुरंत कुल्हाड़ी वाली कहानी याद आ गई।

जल देवता ने कहा, ”गुरूजी, क्यों इतने परेशान हैं ??प्रमोशन, तबादला, वेतनवृद्धि क्या चाहिए आपको ?

गुरूजी अचकचाकर बोले, "प्रभु ! आज ही सुबह एक नई चमचमाती पेन खरीदा था पूरे 10 रूपये का । देखो ढक्कन भी मेरे हाथ में है। यहाँ पत्थर पर बैठा लिख रहा था कि पानी में गिर गया।

प्रभु बोले, ”बस इतनी सी बात ! अभी निकाल लाता हूँ ।” प्रभु ने डुबकी लगाई और चाँदी का एक चमचमाता पेन लेकर बाहर आ गए।

बोले – ये है आपका पेन ?

गुरूजी बोले – ना प्रभु। मुझ गरीब को कहाँ ये चांदी का पेन नसीब। ये मेरा नहीं ।

प्रभु बोले – कोई बात नहीं, एक डुबकी और लगाता हूँ।

डुबुक …..

इस बार प्रभु सोने का रत्न जड़ित पेन लेकर आये और बोले, “लीजिये गुरूजी, अपना पेन।”

गुरूजी बोले – ”क्यों मजाक करते हो प्रभु। इतना कीमती पेन और वो भी मेरा। मैं एक शिक्षक हूँ , PWD का इंजीनियर नहीं ।"

थके हारे प्रभु ने कहा, "चिंता ना करो गुरुदेव।" अबके फाइनल डुबकी होगी।

डुबुक ….

बड़ी देर बाद प्रभु ऊपर आये तो हाथ में गुरूजी का पेन लेकर।

बोले – ये है क्या ?

गुरूजी चिल्लाए – हाँ यही है, यही है ।

प्रभु ने कहा – आपकी इमानदारी ने मेरा दिल जीत लिया गुरूजी। आप सच्चे गुरु हैं। आप ये तीनों पेन ले लो।

गुरूजी ख़ुशी-ख़ुशी घर को चले।

गुरूजी ने घर आते ही सारी कहानी अपनी पत्नी जी को सुनाई और चमचमाते हुए कीमती पेन भी दिखाए।

पत्नी को विश्वास नहीं हुआ और बोली तुम किसी के चुराकर लाये हो।

बहुत समझाने पर भी जब पत्नी ना मानी तो गुरूजी उसे घटना स्थल की ओर ले गये।

दोनों उस पत्थर पर बैठे...

गुरूजी ने बताना शुरू किया था कि कैसे-कैसे सब कुछ हुआ।

पत्नी एक-एक कड़ी को किसी शातिर पुलिसिये की तरह जोड़ रही थी कि अचानक …डुबुक..

पत्नी का पैर फिसला और वो गहरे पानी में समा गई। गुरूजी की आँखों के आगे तारे नाचने लगे , ये क्या हुआ ??

जोर -जोर से रोने लगे।

तभी अचानक ……

पानी में ऊँची ऊँची लहरें उठने लगीं। नदी का सीना चीरकर साक्षात जल देवता फ़िर प्रकट हुए।

बोले – क्या हुआ गुरूजी ? अब क्यों रो रहे हो ?

गुरूजी ने रोते हुए घटना प्रभु को सुनाई।

प्रभु बोले – रोओ मत। धीरज रखो। मैं अभी आपकी पत्नी को निकाल कर लाता हूँ।

प्रभु ने डुबकी लगाईं,

और …..थोड़ी देर में, वो कैटरीना कैफ को लेकर प्रकट हुए।

बोले –गुरूजी।

क्या यही आपकी पत्नी जी हैं ?

गुरूजी ने एक क्षण सोचा और चिल्लाए, "हाँ यही है, यही है प्रभु...बिलकुल यही है ।"

अब चिल्लाने की बारी प्रभु की थी बोले – दुष्ट मास्टर। ठहर अभी तुझे श्राप देता हूँ ।

गुरूजी बोले – माफ़ करें प्रभु।

मेरी कोई गलती नहीं। अगर मैं इसे मना करता तो आप अगली डुबकी में दीपिका पादुकोण को ले आते।

मैं फिर मना करता तो आप मेरी पत्नी को लाते। फिर आप खुश होकर तीनों मुझे दे देते।

अब आप ही बताओ प्रभु , इस भयंकर महंगाई में मैं तीन तीन पत्नियों को कैसे पालता ? क्षमा करें प्रभु , इसलिये सोचा, कैटरीना ही ठीक है।

प्रभु बेहोश होकर ख़ुद पानी में गिर गये।
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