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India ranks first in population in the world, भारत दुनिया का सबसे अधिक आबादी वाला देश बना

Post Update Date : 21 Apr 2023 12:28 AM
Post Date : 21 Apr 2023 12:28 AM
Description : India ranks first in population in the world, भारत दुनिया का सबसे अधिक आबादी वाला देश बना

India ranks first in population in the world

India ranks first in population in the world:- नमस्कार आप सभी तमाम पाठकों का इस न्यू आर्टिकल में स्वागत है , आज के इस आर्टिकल में हम आपको जनसंख्या विस्फोट के बारे में बताएंगे , जनसंख्या वृद्धि में सबसे आगे भारत का नाम स्टेट वर्ल्ड पापुलेशन रिपोर्ट 2023 में दर्ज हो चुका है , जनसंख्या विस्फोट जैसी बड़ी समस्याओं से भारत को अब लड़ना होगा। आखिर क्या कारण है कि भारत की आबादी में इतनी वृद्धि हो रही है।। भारत देश पूरे विश्व में अपना अस्तित्व बरकरार रखा है। जनसंख्या विस्फोट होने के कारण महामारी, अर्थव्यवस्था में गिरावट तथा जलवायु परिवर्तन जैसी कई समस्याओं की चुनौतियों से भारत को लड़ना होगा। वही कुछ सलाहकारों का मानना है कि भारत शिक्षा, स्वास्थ्य और अर्थव्यवस्था के क्षेत्र में मजबूत होगा। तो आइए जानने का प्रयास करते हैं कि क्यों भारत में जनसंख्या इतनी बड़ी है। जानने के लिए आप आर्टिकल को पूरा पढ़ सकते हैं जिसकी विस्तृत जानकारी नीचे प्रस्तुत की गई है। 

भारत दुनिया की सबसे अधिक आबादी वाला देश बना:- 

भारत दुनिया का सबसे अधिक आबादी वाला देश बन गया है संयुक्त राष्ट्र की संस्था यूनाइटेड नेशन पापुलेशन फंड की state of world population report 2023 में यह खुलासा हुआ है। रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2022 में भारत की जनसंख्या 1.5 फ़ीसदी बढ़कर 142.8 करोड़ हो गई। अनुमान के मुताबिक चीन की 142.5 करोड़ की तुलना में भारत की आबादी बढ़कर 142.8 करोड़ के पार पहुंच गई है। चीन की तुलना में भारत की आबादी करीब 30 लाख अधिक है। भारत की 30 लाख ज्यादा जनसंख्या है चीन की तुलना में। भारत देश में युवाओं की आबादी सबसे ज्यादा बड़ी है। महिलाओं की जीवन प्रत्याशा अधिक है। भारत में प्रजनन दर 2.0% है। वही जीवन पुरुषों की तुलना में महिलाओं की जीवन प्रत्याशा अधिक पाई गई है। रिपोर्ट के अनुसार देश में पुरुषों की जीवन प्रत्याशा 71 वर्ष जबकि महिलाओं की 74 वर्ष है। वही एंड्रिया वोजनार का कहना है कि भारत की 140 करोड़ आबादी 140 करोड़ मौके के बराबर है। उन्होंने कहा कि भारत शिक्षा, स्वास्थ्य और अर्थव्यवस्था के क्षेत्र में मजबूत होगा। दुनिया की कुल आबादी 804.5 करोड़ आबादी में से एक तिहाई आबादी अकेले भारत और चीन में रहती है। विश्व में भारत की आबादी में सबसे आगे है। भारत की आबादी 142.8 करोड़ है जबकि दूसरे स्थान पर चीन की आबादी 142.5 करोड़ है , तीसरे स्थान पर अमेरिका की आबादी 34.0 करोड़ है , चौथे स्थान पर इंडोनेशिया की आबादी 27.55 करोड़ है जबकि पांचवें स्थान पर ब्राजील की आबादी 21.53 करोड़ है। 

जनसांख्यिकीय लाभांश या जनसांख्यिकीय अभिशाप:- 

किसी देश में युवा तथा कार्यशील जनसंख्या की अधिकता तथा उससे होने वाले आर्थिक लाभ को जनसांख्यिकीय लाभांश के रूप में देखा जाता है। भारत में मौजूदा समय में विश्व में सबसे अधिक जनसंख्या युवाओं की है। इस आबादी का उपयोग भारत की अर्थव्यवस्था को गति देने में किया जाए तो यह भारत को जनसांख्यिकीय लाभ प्रदान करेगा। युवाओं को रोजगार देना चाहिए और प्रोत्साहित करना चाहिए। ताकि वह विश्व की ताकत बन सके युवा हमारे देश की ताकत है। किंतु यदि शिक्षा गुणवत्ता में गिरावट होगी तो जनसांख्यिकीय हमारे लिए अभी साफ होगा। जनसांख्यिकीय लाभ के लिए स्वास्थ्य सुरक्षा के समाधान उपलब्ध करवाने होंगे। यदि ऐसा नहीं हुआ तो कार्यशील आबादी एक अभिशाप का रूप धारण कर सकती है। विभिन्न देश अपने संसाधनों के अनुपात में ही जनसंख्या वृद्धि पर बल देती है। ऐसे मेरी जनसंख्या वृद्धि को नियंत्रित नहीं किया गया तो तो भारत की स्थिति भयावह हो सकती हैं। इसी संदर्भ में हाल में ही भारतीय प्रधानमंत्री ने जनसंख्या नियंत्रण की बात "हम दो हमारे दो" कही है। सभी भारतीयों को प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी की इस नीति पर अमल करना चाहिए। ताकि जनसांख्यिकीय विश्व के लिए अभिशाप साबित ना हो। 

जनसंख्या गरीबी का भी मुख्य कारण है जानिए कैसे:- 

गरीब लोगों में अधिक बच्चों को जन्म देने की प्रवृत्ति इसलिए होती है क्योंकि इस वर्ग में बाल उत्तरजीविता निम्न है पुत्र प्राप्ति की इच्छा हमेशा से उच्च बनी रही है। पुत्र से वंश की वृद्धि होती है इसीलिए वे अधिक बच्चों को जन्म देने की प्रवृत्ति रखते है और बच्चे आर्थिक गतिविधियों में सहयोग देते हैं इस प्रकार की आर्थिक और भावनात्मक आवश्यकताओं की पूर्ति करते हैं। आय का समान वितरण और लोगों के बीच बढ़ती असमानता अत्यधिक जनसंख्या के नकारात्मक परिणामों के रूप में सामने आएगी। अधिक सदस्य वाले परिवार में माता-पिता अपने सभी संतानों की पूर्ति अगर नहीं कर पाते हैं तो उन्हें शिक्षा , स्वास्थ्य जैसे सुविधाएं उपलब्ध नहीं हो सकती है। शिक्षा की कमी होने पर वह अपने खाने पीने के लिए इधर-उधर भटकते हैं जिससे उनके मन में नकारात्मक प्रभाव उत्पन्न होते हैं कई आतंकवादी प्रवृत्ति के भी बन जाते हैं। वर्ष 2050 तक देश की शहरी आबादी दोगुनी हो जाएगी जिसके चलते शहरी सुविधाओं में सुधार और सभी आवास उपलब्ध कराने की चुनौती होगी साथ ही पर्यावरण को भी मध्य नजर रखना जरूरी होगा। जनसंख्या वृद्धि होने से वनोन्मूलन हो रहा है लोग अपने रहने के लिए आवास खोज रहे हैं जिसके लिए वे वन की कटाई कर रहे हैं। वातावरण प्रकृति की जान होती है। वातावरण का संतुलन बनाए रखने के लिए लोगों को प्रेरित करना आवश्यक है ताकि आने वाले वर्ष में देश को महावारी जैसी समस्याओं से जूझना ना पड़े। वनोन्मूलन होने से जलवायु परिवर्तन भी तेजी से हो रहा है कभी अधिक गर्मी तो कभी अधिक ठंड महसूस हो रही है। 

जनसंख्या नियंत्रण के कुछ उपाय:- 

• आयु की एक निश्चित अवधि में मनुष्य की प्रजनन दर अधिक होती है यदि विवाह की आयु में वृद्धि की जाए तो बच्चों की जन्म दर को नियंत्रित किया जा सकता है। 

• शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार तथा लोगों के अधिक बच्चों को जन्म देने के दृष्टिकोण में परिवर्तन करना। 

• महिलाओं की शिक्षा पर अधिक बल देना उन्हें निर्णय प्रक्रिया में शामिल करना। 

• लैंगिक भेदभाव को समाप्त करना। जो पुत्र की चाहत में अधिक से अधिक बच्चों को जन्म देने की प्रवृत्ति रखते हैं उन्हें समाप्त करना। 

• शिक्षा के लिए मध्यम लोगों में विशेषकर ग्रामीण एवं पिछड़े क्षेत्रों में जागरूकता लाने का प्रयास करना। 

• भारत में अभी भी एक बड़ी जनसंख्या शिक्षा से दूर है इसलिए परिवार नियोजन के लाभों से अवगत नहीं है विभिन्न संचार माध्यमों जैसे टेलीविजन रेडियो समाचार पत्र आदि के माध्यम से लोगों को विशेषकर ग्रामीण एवं पिछड़े क्षेत्र में जागरूकता लाना। 

• सरकार को ऐसे लोगों को विभिन्न माध्यमों से प्रोत्साहन देने का प्रयास करना चाहिए जो परिवार नियोजन पर ध्यान देते हैं तथा छोटे परिवार को प्राथमिकता देते हैं। 

• भारत में अनाथ बच्चों की भी संख्या अधिक है तथा ऐसे परिवार भी है जो बच्चों को जन्म देने में सक्षम नहीं है। ऐसे परिवारों को बच्चे गोद लेने के लिए प्रोत्साहित करना साथ ही अन्य परिवार को भी बच्चों को गोद लेने के लिए प्रेरित करना। इस प्रकार से ना सिर्फ अनाथ बच्चे की स्थिति में सुधार होगा बल्कि जनसंख्या को भी नियंत्रित किया जा सकेगा।

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